बुधवार, 30 दिसंबर 2015

हनुमानजी की आरती (Shri Hanuman Ji Ki Aarti)


मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् ||
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ||

आरती किजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥


अंजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये | लंका जाये सिया सुधी लाये ॥


लंका सी कोट संमदर सी खाई | जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे | सियाराम जी के काज सँवारे ॥


लक्ष्मण मुर्छित पडे सकारे | आनि संजिवन प्राण उबारे ॥
पैठि पताल तोरि जम कारे| अहिरावन की भुजा उखारे ॥


बायें भुजा असुर दल मारे | दाहीने भुजा सब संत जन उबारे ॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे | जै जै जै हनुमान उचारे ॥


कचंन थाल कपूर लौ छाई | आरती करत अंजनी माई ॥
जो हनुमान जी की आरती गाये | बसहिं बैकुंठ परम पद पायै ॥


लंका विध्वंश किये रघुराई | तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई ॥
आरती किजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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