बुधवार, 30 दिसंबर 2015

श्रीसत्यनारायणजी की आरती


ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा |

सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥


रत्नजडित सिंहासन, अद्भुत छवि राजें |

नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....


प्रकट भयें कलिकारण ,द्विज को दरस दियो |

बूढों ब्राम्हण बनके ,कंचन महल कियों ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


दुर्बल भील कठार, जिन पर कृपा करी |

च्रंदचूड एक राजा तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


वैश्य मनोरथ पायों ,श्रद्धा तज दिन्ही |

सो फल भोग्यों प्रभूजी , फेर स्तुति किन्ही ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


भाव भक्ति के कारन .छिन छिन रुप धरें |

श्रद्धा धारण किन्ही ,तिनके काज सरें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


ग्वाल बाल संग राजा ,वन में भक्ति करि |

मनवांचित फल दिन्हो ,दीन दयालु हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


चढत प्रसाद सवायों ,दली फल मेवा |

धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे |

ऋद्धि सिद्धी सुख संपत्ति सहज रुप पावे ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....


ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|

सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा ॥

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