गुरुवार, 16 जुलाई 2015

अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्

आदिलक्ष्मी - 
सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये ॥
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि, मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ॥
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित, सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालय माम ॥ १ ॥

धान्यलक्ष्मी - 
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि, वैदिकरूपिणि वेदमये ॥
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ॥
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम ॥ २ ॥

धैर्यलक्ष्मी - 
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये ॥
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ॥
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधुजनाश्रित पादयुते ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम ॥ ३ ॥

गजलक्ष्मी - 
जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये ॥
रथगज तुरगपदादि समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते ॥
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, तापनिवारिणि पादयुते ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम ॥ ४ ॥

सन्तानलक्ष्मी - 
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये ॥
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते ॥
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानववन्दित पादयुते ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम ॥ ५ ॥

विजयलक्ष्मी - 
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये ॥
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते ॥
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्कर देशिक मान्य पदे ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मि सदा पालय माम ॥ ६ ॥

विद्यालक्ष्मी - 
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये  ॥
मणिमयभूषित कर्णविभूषण, शान्तिसमावृत हास्यमुखे ॥
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम ॥ ७ ॥

धनलक्ष्मी - 
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि, दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये ॥
घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम, शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ॥
वेदपुराणेतिहास सुपूजित, वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते ॥
जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेण पालय माम ॥ ८ ॥

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