शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को,
दोन्दिल लाल विराजे सुत गौरीहर को।
हाथ लिए गुड़ लड्डू साई सुरवर को,
महिमा कहे न जाय लागत हुँ पद को॥४॥
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता,
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव ॥
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी,
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी,
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी॥५॥
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता,
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे,
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महराज मोको अति भावे,
गोसावी नंदन निशिदिन गुण गावे॥६॥
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता,
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव ॥
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