शनिवार, 20 जून 2015

नवनाग स्तोत्र (Navnag stotra)




अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं

शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा

एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं

सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः

तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत

ll इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll

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॥ नाग गायत्री मंत्र 
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ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि

तन्नो सर्प प्रचोदयात ll


8 टिप्‍पणियां:

  1. Mantra is prakaar hai
    Aum Navkul Nagaye Vidhmaye
    Vishdantaaye dhi Mahi
    Tanno Sarpa Prachodhyaat.
    Yaddi Sahi hai to prakaashit kare.

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  2. नवनाग स्तोत्र खुप चांगले आहे मला चांगला अनुभव आला आहे

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  3. नाग पंचमी के शुभ अवसर पर हिंदु समाज श्रीम्ननागनाथ की पूजा करें क्योंकि इनका हमारे जीवन में अनन्य साधारण महत्व है। कृषि उपज का पोषक है नागनाथ, विषधर है परंतु मानव का शत्रु नहीं मित्र हैं। भगवान श्री शिव शंभो के कंठ को शीतलता प्रदान करता है और उसके जरिए श्री महादेव को कंठदाह से आराम मिलता है। जय श्री नागनाथ 🙏🚩🕉️ नमः शिवाय

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