अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं
शन्खपालं ध्रूतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनं
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत
ll इति श्री नवनागस्त्रोत्रं सम्पूर्णं ll
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॥ नाग गायत्री मंत्र ॥
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ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि
तन्नो सर्प प्रचोदयात ll
uttam
जवाब देंहटाएंउत्तमोत्तम
जवाब देंहटाएंMantra is prakaar hai
जवाब देंहटाएंAum Navkul Nagaye Vidhmaye
Vishdantaaye dhi Mahi
Tanno Sarpa Prachodhyaat.
Yaddi Sahi hai to prakaashit kare.
Absolutely right
हटाएंनवनाग स्तोत्र खुप चांगले आहे मला चांगला अनुभव आला आहे
जवाब देंहटाएंNaga puja how performed.
जवाब देंहटाएंनाग पंचमी के शुभ अवसर पर हिंदु समाज श्रीम्ननागनाथ की पूजा करें क्योंकि इनका हमारे जीवन में अनन्य साधारण महत्व है। कृषि उपज का पोषक है नागनाथ, विषधर है परंतु मानव का शत्रु नहीं मित्र हैं। भगवान श्री शिव शंभो के कंठ को शीतलता प्रदान करता है और उसके जरिए श्री महादेव को कंठदाह से आराम मिलता है। जय श्री नागनाथ 🙏🚩🕉️ नमः शिवाय
जवाब देंहटाएंIwant to naga sadhana how can I do it
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